शुभ्र शारदे!
भर दे प्रकाश से,
ऐसा स्वर दे।
आँसू दुःख के
मन प्रकाश मय
आत्मा निखरे
जीवन यज्ञ
दीं कर्म आहुतियां
प्रकाश फैला
शिशु निर्मल
खुशियों की पोटल
रश्मि धवल
अरुषी रश्मि
छुए बरखा बूंदें
इंद्रधनुष
मधु स्मृतियाँ
प्रेम रश्मि संजोये
मोदित मन
तारक बीज
निशि नभ में बोये
रश्मि कोपल
ज्ञान किरण
तेजोमय आत्मन
धन्य जीवन
आत्म मनन
प्रस्फुटित किरण
दीपित मन
चंद्र किरण
मधु निशा वरण
रति रमण
मेरी दिनकर काव्य रश्मिरथी को श्रद्धाञ्जलि:
हे दिनकर!
धन्य है रश्मि रथी!
कर्ण प्रवर!
कुंती किरण
दिनकर का वर
कर्ण प्रखर!
दान का व्रती
तेजस रश्मि-रथी
कर्ण यशश्वी!
रश्मि मुकुट
दुख में तप विज्ञ
दृढ प्रतिज्ञ!
३ जनवरी २०१५
बैंगलोर