मैं ऐसा ही हूँ!
कुछ फक्कड़, कुछ अक्खड़,
कुछ धुँआ, कुछ धक्कड़,
कुछ खारा, कुछ मीठा,
कुछ खरा, कुछ खोटा,
कुछ जुड़ा, कुछ टूटा,
कुछ मिला, कुछ छूटा,
कुछ ख़ुशी में मस्त,
और कुछ रूठा-रूठा।
मैं ऐसा ही हूँ!
कुछ मौजी, कुछ फौजी,
कुछ छुपा, कुछ खोजी,
कुछ साधा, कुछ आधा,
कुछ अटका, कुछ भटका,
कुछ सहा, कुछ धुना,
कुछ कहा, कुछ सुना,
और कुछ रह गया
अनकहा, अनसुना।
मैं ऐसा ही हूँ!
अगर तुम सोचते हो
कि मैं कुछ बदलूँ,
कुछ सुधरूँ, कुछ संभलूँ,
तो हुज़ूर, है नहीं मेरा
ऐसा कोई इरादा,
और न ही कोई वादा।
तो अब बोलो कि
मेरी इतनी लंबी
बेमतलब, बेसबब
बकवास सुनने के बाद,
क्या ख़याल है आपका?
जमेगी हमारी-आपकी?
क्योंकि, मैं ऐसा ही हूँ!
;-)
१ नवंबर २०१६
बंगलौर