रंज बहुत हैं, रंजिशों की इबादत न करो।
संग दिल हैं लोग, नेकियों की आदत न करो।
दोस्ती का अंदाज़ भी अजब निराला है,
वादे करो, निबाहने की हिमाकत न करो।
ज़माने में ये चलन नया - नया तो नहीं,
वफ़ा करो पर वफ़ा की चाहत न करो।
उम्दा-ओ-काबिल को फख्र-ऐ-बुलंदी जायज,
नीव के पत्थर की यूं हिकारत न करो।
वक़्त-ओ-हालात के बहुत हैं तजुर्बे ऐसे,
मदद करो, "बेसबब" इनायत न करो।
मई २००२
Chicago, IL, USA