मिन्नतों और मुरादों का कोई असर न हुआ।
वो खफा ही रहे, मनना मयस्सर न हुआ।
मेरे अल्फाजों की कीलें चुभी थीं उनके जेहन में,
अश्कों से धोया पर जख्म बेहतर न हुआ।
खुशी और गम का हर एक रंग चाहिए उन्हें,
चंद खुशियों और आंसुओं में रहबसर न हुआ।
"बेसबब" नहीं थे उसकी खामोश निगाहों के गिले,
रंज मेरे भी थे, पर बयान-ऐ-जहर न हुआ।
३ मार्च २००३
Chicago, IL, USA