मेरे गुनाहों का मुझसे हिसाब न मांगो

मेरे गुनाहों का मुझसे हिसाब न मांगो
माज़ी है शर्मसार उससे हिजाब न मांगो

बाकी निशां-ए-ज़ख़्म पे फिरा के उंगलियाँ
वापस दोस्ती का फिर से ख़िताब न मांगो

हर याद को सहेजा है पन्नों के दरमियाँ
न बचेगा कुछ भी पास ये किताब न मांगो

पुर-खूं दिल के ख्वाब को सींचा है ताब से
ज़िद है कि हो सैलाब तो भी आब न मांगो

है "बेसबब" बगावत ऐ! तमाशाई हुजूम
न जो दम-ए-कुर्बान तो इंकलाब न मांगो

२१ मार्च २०१४
बंगलौर


माज़ी : अतीत, past
शर्मसार : लज्जित, शर्मिंदा, ashamed
हिजाब : परदा, आड़, लज्जा, veil, headscarf, hijab
निशां-ए-ज़ख़्म : घाव का निशान, scar
उंगली फिराना/फेरना : उंगली से सहलाना / छूना, stroking/touching with finger
ख़िताब : उपाधि, पदवी, title
दरमियाँ, दरमियां, दरमियान : बीच / मध्य में, in between
पुर-खूं : खून से भरा, full of blood
ख्वाब : सपना, dream
ताब : ताप, गरमी, सामर्थ्य, कष्ट/दुःख/विरोध सहने की शक्ति
सैलाब : बाढ़, प्रलय, flood
आब : पानी, water
बगावत : विद्रोह, mutiny
तमाशाई : तमाशा देखनेवाला, bystander
हुजूम : भीड़, झुंड, crowd
दम : ताकत, strength
कुर्बान : बलिदान, sacrifice
दम-ए-कुर्बान : बलिदान देने की क्षमता, ability to sacrifice
इंकलाब : क्रांति, revolution