स्नेह का आभार तुमको, हे प्रिये!

संकल्पप्रण, oath कुछ थे, और कुछ थी उदासी,
संतोष कुछ, संचयसंग्रह, इकट्ठा करना, accumulation कुछ व्यथापीड़ा, कष्ट, खेद, anguish का भी।
दग्धझुलसा हुआ, burnt था कि क्यों विमुखप्रतिकूल, विरुद्ध, untoward, unfriendly संसार मुझसे,
पनपता वैराग्यविराग, विरक्त, detachment था निस्सारसारहीन, जिसमें तत्त्व या सार न बचा हो, illusory, worthless मन में।
पाषाणपत्थर, stone जग या मैं स्वयं पाषाण था,
इस संशयसंदेह, शंका, doubt का चिरंतनबिना अंत के, लगातार, सतत, सदा, constant, ceaseless संज्ञानबोध, cognition था।
पर मिल गये तुम।
पर मिल गये तुम!
मृदु स्पर्श की मनुहाररूठे को मनाना तुम हो, हे प्रिये!
निजअपना, स्व, स्वयं से/के -द्वेषबैर भाव, शत्रुता, विरोध का परिहारबलपूर्वक छीनना या छोड़ना, निराकरण, rectification तुम हो, हे प्रिये!
स्नेह का आभार तुमको, हे प्रिये! ॥१॥

निष्प्रयोजनबिना प्रयोजन/उद्देश्य के, without purpose जीवन-पथ पर भटकता,
नेपथ्यरंग-मंच के पीछे का न दिखने वाला भाग, backstage के हर शूल-कंकड़ परखता।
सहसाएकाएक, अचानक, suddenly मिली मार्ग में जो एक धारा,
निर्मोहीजिसे मोह न हो, किसी के प्रति अनुराग/स्नेह न रखनेवाला, loveless मैं चला तजतजना: त्यागना, छोड़ना, leave कर किनारा।
विश्रृंखलबिना श्रृंखला के, बंधनहीन, अस्त-व्यस्त, unchained disarrayed, disorderly हो जीवनी बिन पतवारनाव चलाने का चप्पू, oars, rudder के,
डूबती, गिर गह्वरगहरा गड्ढा, chasm में संग धार के।
पर मिल गये तुम।
पर मिल गये तुम!
मंझधारधारा के बीच में, midstream में पतवार तुम हो, हे प्रिये!
उत्साह का उद्गारवेगपूर्वक बाहर निकलना, outpouring तुम हो, हे प्रिये!
स्नेह का आभार तुमको, हे प्रिये! ॥२॥

अस्थिरजो स्थिर न हो, unstable आधारबुनियाद, base, foundation पर जब पलता कोई,
निरापदसुरक्षित, safe, protected अस्तित्वजीवन, existence की प्रत्याशासंभावना, अपेक्षा, expectation खोई,
तो मनुज लौकिकभौतिक, संसारिक, materialistic जरूरतें जोड़ता है,
दृढ़मजबूत, strong धरातलधरती, सतह, surface, छाँव सर पर खोजता है।
इस जतनयत्न, effort में जिंदगी से जूझते थे,
भावना के बाग मन में सूखते थे।
पर मिल गये तुम।
पर मिल गये तुम!
मन-पुष्प का श्रृंगार तुम हो, हे प्रिये!
मधु कामना साकार तुम हो, हे प्रिये!
स्नेह का आभार तुमको, हे प्रिये! ॥३॥

आसआशा, hope ही जीवन का है एक नाम और,
हो भले कितना ही कठिन या कटुकड़वा, कसैला, bitter दौरअवधि, समय, phase,
मन सदा सपने सुहाने देखता है,
भविष्य के स्वर्णिमसुनहरा, golden उजाले देखता है।
थक-टूट कर भी नित्य कल के चित्र पर
रंग मैंने भी उड़ेलेउड़ेलना: भरना, pour, infuse; सँवारीसँवारना: सजाना, बेहतर बनाना, embellish, improve डगररास्ता, path
अब मिल गये तुम।
अब मिल गये तुम!
इंद्रधनुइंद्रधनुष, rainbow का आधार तुम हो, हे प्रिये!
सतरंगी संसार तुम हो, हे प्रिये!
स्नेह का आभार तुमको, हे प्रिये! ॥४॥

१९ मार्च २०१५
बंगलौर