चर्चा खूब करी मगर, ठंडी कर दी चाय।
अब बीरबल की खिचड़ी, देखो कब पक जाय॥
दुनिया भर में घूम के, बन गये रॉक स्टार।
तबियत से ठोंके गये, जब वो गये बिहार॥
मन की बात बहुत सुनी, तुम भी खोलो कान।
न दुकान चल पाएगी, जो फीके पकवान॥
देखें राह विकास की, अच्छे दिन की आस।
आधी अवधि बीत गयी, आधे बचे हवास॥
नये नवेले नाम से, देते टैक्स लगाय।
चमड़ी तो है छिल रही, दमड़ी बच न पाय॥
होली (२४ मार्च) २०१६
बंगलौर