राजनीति दूंगा बदल, नैतिकता का पाठ।
टोपी पहनाई मस्त, बदले अब हैं ठाठ॥
तज दिल्ली उनचास दिन, बनने को महराज।
आए दिल्ली लौट के, कोसन मोदी काज॥
मोदी-मोदी जापिये, चाह काम की दूर।
खुश हो जावें आपिये, खबर बने भरपूर॥
मोदी-मोदी कर मुआ, रोता है दिन-रात।
नौटंकी बहुरूपिया, सूझे और न बात॥
खुली आँख मोदी दिखे, सोया कर के बंद।
मोदी ही है सपन में, मोदी का षड्यंत्र॥
फटा दूध है केजरी, कैसे बने पनीर।
बिन चाशनी रसगुल्ला, बनना मुश्किल खीर॥
१ अगस्त २०१६
बंगलौर