ये गलियाँ बड़ी सुनसान दिखती हैं,
ये गलियाँ बड़ी वीरान दिखती हैं...
सफेद अनछुई बर्फ जैसे
दूर तक तन्हाई पसरी हो.
ये बिन पत्तियों के पेड़ जैसे
उजड़े घर की याद भर बची हो.
सूरज भी गुमसुम-ग़मज़दा है,
धुंध से रोशनी परेशान दिखती है...
ये गलियाँ बड़ी वीरान दिखती हैं.
सोचता हूँ कि बर्फ पर चल कर,
उस मोड़ के मकान तक जाऊं,
दीवार की सुर्ख खुरदरी ईंटों को,
जी भर के गदेलियों से सहलाऊँ.
जिंदगी के सर्द थपेड़ों से
किस कदर हुई हलकान दिखती हैं...
ये गलियाँ बड़ी वीरान दिखती हैं.
१ दिसंबर २०१५
बंगलोरे में Minnesota की एक तस्वीर देख कर प्रतिक्रिया