मज़मून ये है कि हम कई बार अपने दिल की बात अपनी चाहत, अपने हमदम, अपने दोस्त से कह नहीं पाते। और कई बार हमें चाहने वाले भी अपनी बात दिल में ही दबा जाते हैं, और हमें अहसास तक नहीं होता कि कुछ जज़्बात उनके लबों तक पहुँचे ही नहीं। कुछ ऐसी ही अनकही को कहने की ये कोशिश है।
तेरी ख़ुशी में शरीक था, ग़म में तेरे बेज़ार था
ख़ामोश रह कर बह गया, वो अश्क तेरा यार था
दिल टूटने की कश्मकश, इक कहकहे में कह गया
या तुम बड़े मासूम हो, या वो बहुत अय्यारबनावटी, बहरूपिया, धोखेबाज़, artful, crafty, imposter था
क्यूँ वापस दबे पाँव चल, दहलीज़ से दस्तक गयी
किस जुर्म का इक़बाल था, किस दर्द का इज़हार था
अब "बेसबब" हम क्यूँ करें, तस्दीक़पुष्टि, प्रमाणीकरण, सत्यापित करना, proving true, attesting, verifying, authentication बीते वक़्त की
दिल का भरम ही था मगर गुजरा वह ख़ुश-गवार था
२६ जुलाई २०१६
बंगलौर
PS:
क़ाफ़िया: "..आर"
रदीफ़: "था"
बहर: रजज़ (2212 x 4, चार मुस-तफ़-इलुन)